माँ प्राणियोँ में सद्भावना व प्यार दे! मानव में मानवता जीवित रहे!-।।ॐ जय माता दी ॐ ।।- विजय शंकर यादव
माता रानी की असीम कृपा से इस सावन में शक्तिपीठ नैना देवी माता रानी का दर्शन करने का शौभाग्य प्राप्त हुआ। माता का ये स्थान देव भूमि हिमांचल प्रदेश में है। लगभग 16 KM ऊंचा शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर ये भब्य मंदिर स्थिति है। इत्तनी ऊँचाई पर पहुँच कर मानो ऐसा लगता है जैसे आकाश में आ गए हो। चारो तरफ पहाड़ व बदलो घिरा ऐसा लगता है कि प्रकृति माँ के मंडप की आगवानी कर रही हो। माता के मण्डप में एक विशाल पीपल का बृक्ष है जो श्रधालुओ को बहुत ही आकर्षित करता है। सूरज व चांद अपनी रोशनी से माँ के मंडप को सुशोभित करते है। कभी कभी तो ऐसा लगता है कि हम सूरज व चांद के कितना समीप है। लगभग 16KM की ऊँचाई पर पूरा जनजीवन मानवीय जीवन जीने योग्य ये किसी चमत्कार से कम नही है। माता रानी अपने भक्तों का बहुत ख़य्याल रखती है।
।।ॐ जय माता दी ॐ।। ॐ माता रुक्मणि राधे कृष्ण की जय ॐ ।।
विजय शंकर ग्वाल
https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=3188558457826141&id=100000160555856
माता रानी की असीम कृपा से इस सावन में शक्तिपीठ नैना देवी माता रानी का दर्शन करने का शौभाग्य प्राप्त हुआ। माता का ये स्थान देव भूमि हिमांचल प्रदेश में है। लगभग 16 KM ऊंचा शिवालिक पर्वत श्रेणी की पहाड़ियों पर ये भब्य मंदिर स्थिति है। इत्तनी ऊँचाई पर पहुँच कर मानो ऐसा लगता है जैसे आकाश में आ गए हो। चारो तरफ पहाड़ व बदलो घिरा ऐसा लगता है कि प्रकृति माँ के मंडप की आगवानी कर रही हो। माता के मण्डप में एक विशाल पीपल का बृक्ष है जो श्रधालुओ को बहुत ही आकर्षित करता है। सूरज व चांद अपनी रोशनी से माँ के मंडप को सुशोभित करते है। कभी कभी तो ऐसा लगता है कि हम सूरज व चांद के कितना समीप है। लगभग 16KM की ऊँचाई पर पूरा जनजीवन मानवीय जीवन जीने योग्य ये किसी चमत्कार से कम नही है। माता रानी अपने भक्तों का बहुत ख़य्याल रखती है।
।।ॐ जय माता दी ॐ।। ॐ माता रुक्मणि राधे कृष्ण की जय ॐ ।।
विजय शंकर ग्वाल
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